भुट्टो ने कहा उस शोरगुल और हंगामे में एक खास किस्म की जीवंतता है, उसमें संख्यात्मक मान की ताकत और सुरक्षा है। उस व्यवस्था में किसी नागरिक की किस्मत किसी एक इंसान के फितूर और सनक पर निर्भर नहीं होती।
(पीलू मोदी द्वारा फली नरीमन को सुनाया गया, 'बिफोर मेमोरी फेडस' फली नरीमन की आत्मकथा से, हे हाउस इंडिया, 22वां प्रकाशन, 2019, पृष्ठ 142)![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEirGyw0PP7GE65eG1u3_zXw6dtf9XPpDrPANgyfYmo-aeF1D-vEpSxufK2Wi0y4fazIjIgTTGieBksZTCJ0DIdeQW65tJHqla3YPDBsl7UFGQSMG-a2gyw5JGHxNnnBkgXZBpv_hPrF8cAi/)
अक्सरहां जो ताकत बटोरने लगते हैं तन्हाई में मरने/मारे जाने को अभिशप्त होते हैं।
याद रहे, आज जो सड़कों को खामोश कर रहे हैं, संसद जैसी संस्था जिनके ताकत से आवारा (और कतई बदचलन भी) हो रही है, वे अपनी मृत्यु में भी कोई गरिमा नहीं पा सकेंगे।
संविधान अमर रहे।
raghvendra kumar
advocate supreem court