#आज संविधान दिवस भी है। और एक संयोग यह भी है कि किसान अपनी मार्च कर रहे हैं।
क्या दिक्कत है। क्यों उनके ऊपर कैनन और तेज फोहार बरसाया जा रहा है।
आप जब सुबह उठते हैं तो चाय की पहली चुस्की लेते हैं या काफी की चुस्की। और उसके बाद ब्रेकफास्ट और लंच। जितनी भी आप अपनी क्षुधा मिटाते हैं पेट की वह किसानों के हाथ और पूरे शरीर से पसीने से होकर हमसब के घर में पहुंचती है। सारे हाड़मांस खुद गलावे जीतोड़ मेहनत करें पर उसपर डकैती डालने के लिए दो कौड़ी के सड़कछाप लोग हैं तो पालिसिमेकर हैं वह कैसे तय कर सकते हैं कि किसानों को क्या करना चाहिए।
दुःखद पहलू यह भी इन दो कौड़ी का साथ हमारे घर के आसपास के लोग दे रहें हैं।
और तो और उनके खेतों पर सबकी बुरी नजर है वो भी मल्टीनेशनल कम्पनियां खरीदना चाहती हैं। यानि अपनी ही खेती पर किसान खुद मजदूर बन जाएगा। ये कहाँ की कानून है। ईश्वर भी ऐसा कानून नहीं बनाता। वह तो इतना खुले विचार का है कि उसने हवा पानी और सूरज की रौशनी को बिना बेरोक टोक सभी दरवाजों तक प्रवेश कराता है वह इतना ही बड़ा दिल रखता है जितना कि समुंदर। लेकिन ये दो कौड़ी के लोग इतनी ही दिल रखते है पता नहीं रखते भी है या दिल निकाल कर फेंक देते हैं यह पता नहीं।![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjOfNjQuPsCA9fXbm6et86LpQcCjMRa4gg85A-PT7o42NH0Q1HPHvgcR-YPz-X1f2ip-r6SF__8XFuQlFMqn_fLrXYUeoszM6kFFrqxVmEDgZgy7UEUjJQY82Z54dYkg1mk6YloWkGfixyx/)
किसानी सभ्यता लाखों साल पुरानी है।
याद रखिये उनको कोई भी कष्ट होगा तो हमारे घर भी कब्रगाह में बदल जाएंगे। उनको सहूलियत दीजिये उनकी परेशानी समझिए उनको उनका मुनाफा ज्यादे बढ़े यह कोशिश करिये।
मेरा किसान आंदोलन को पूरा समर्थन है। क्या आप भी करते हैं। यह अभियान के रूप में स्वीकारिये।
प्रबोध सिन्हा