कलिहारी एक अत्यंत गुणकारी ओषधि

#कलिहारी
बारिश के इन दिनों में कलिहारी के सुंदर पुष्पो का खिलने का समय चल रहा है.....जो यदा कदा जंगल मे देखने को मिल जाती हैं...कलिहारी अर्थात जो काल को भी हर ले,यह एक अत्यंत गुणकारी ओषधि हैं... जिसके सुंदर फूल हम सबको आकर्षित करते है...इसकी पंखुडियां चटक लाल और पीली होती हैं, जैसे कि अग्नि की लपटें उठ रही हों, संभवतः इसी कारण ही इस फूल को अग्निशिखा भी कहा जाता हैं...।
यह पौधा अक्सर जंगलों में बारिश के दिनों में उग आता हैं.... जो अपने कन्द से बारिश में उगता हैं और शीत ऋतु में सुख जाता हैं... इससे प्राप्त होने वाला कंद अत्यंत गुणकारी होता हैं,, जो काफी जहरीला होता हैं, यह कन्द औषध रूप विषरोधी होता है, इसलिए इसे विषल्या भी कहते हैं... कई लोगो का मानना हैं कि यह बूटी रामायणकाल से जुड़ी हैं... हनुमान जी लक्ष्मण के लिए जो संजीवनी बूटी लाए थे उसमें एक अग्निशिखा भी रही हैं....यह युद्ध काल मे लगे जहरीले तिरो के प्रभाव को निष्प्रभाव करने हेतु उपयोग में ली जाती रही हैं.... आज भी किसी को कांटा या कांच लग जाये तो इसके कन्द को घिसकर लगाने से वह बहुत जल्दी बाहर आ जाता हैं....
विगत कुछ वर्षों में इस पौधे का औषधीय प्रयोग के लिए बड़े पैमाने पर दोहन किया गया है, इसलिए कईं क्षेत्रो से अब लुप्त प्रायः हो गयी हैं...।
कुष्ठ रोग,अल्सर,केंसर,सर्पदंश आदि में इसका उपयोग किया जाता हैं....इसके योग से अनेक औषधियों का निर्माण किया जाता हैं....।
अमूल्य औषधीय गुणों के कारण यह ज़िम्बाब्वे का राष्ट्रीय पुष्प है....ओर हमारे तमिलनाडु का प्रादेशिक पुष्प बनाकर सम्मानित किया गया है.…..।